Ishq is the most popular subject in Urdu Shayari poetry Rekhta present most popular 17 sher on ishq the most popular 17 Sher are presenting In which every sher on ishq has its own different definition and take on love and have it a different feeling with the description of all Urdu poetry
The most popular 17 Ishq Sher is presenting which has its own definition of Ishq Sher and embraces love and gives it a different feel with its description of Urdu poetry.
सबसे लोकप्रिय Ishq Sher 17 शेर पेश कर रहे हैं, जिसमें हर इश्क़ शेर की अपनी अलग परिभाषा है और प्यार को अपनाएं हुए हैं और इसे उर्दू कविता के वर्णन के साथ अपना अलग एहसास दिलाते हैं
मुझे इश्क़ की इन्तेहा चाहिए
लबों पे हंसी दिल में वफ़ा चाहिए
मुझे सिर्फ मिलजाये मेरा मसीहा
मैं बीमारे दिल हूँ दवा चाहिए
Asif
ishq ne ‘ġhālib’ nikammā kar diyā
varna ham bhī aadmī the kaam ke
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
MIRZA GHALIB
इश्क़ एक ऐसी बला है या शहर है जिसमे किसी का ख़याल नहीं रहता और दुनिया दारी या घर दारी का कोई फ़िराक़ नहीं आता
इसका सबसे बड़ा उदहारण मिर्ज़ा ग़ालिब का यह शेर है
ishq nāzuk-mizāj hai behad
aql kā bojh uThā nahīñ saktā
इश्क़ नाज़ुक मिज़ाज है बेहद
अक्क का बोझ उठा नहीं सकता
AKBAR ALLAHABADI
इसी इश्क़ को अगर हम अक़्ल या विवेक से तुलना करें तो यह दिमाग नहीं दिल से काम करता है और यह बहोत ही नाज़ुक होता है क्योंकि अगर महबूब को ज़रा सी परेशानी होती है तो आशिक़ को बहोत दर्द का एहसास होता है वो इसलिए क्योंकि इसमें एक दूसरे के दुःख दर्द दोनों एक सामान महसूस करते है जैसे ये मीर तक़ी मीर का शेर
rāh-e-dūr-e-ishq meñ rotā hai kyā
aage aage dekhiye hotā hai kyā
रहे दौरे इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देख होता है क्या
ये इश्क़ जब ईश्वरत्व का ज्ञान पा लेता है तो वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है वह संसार का सार जान कर ज्ञान प्राप्त कर लेता है इस ज्ञान को प्राप्त करने की किस्मत या तौफ़ीक़ किसी किसी को मिलती है और जिस को प्राप्त होती है वह बहोत ही किस्मत वाला होता है
koī samjhe to ek baat kahūñ
ishq taufīq hai gunāh nahīñ
कोई समझे तो एक बात कहूं
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

ये वह प्यास है जिसके लगने के बाद आग का सागर भी कुछ नहीं इतनी जलन तड़प होती है जिसमे ये लगने के बाद दुनिया की आग पर भी चलना आसान हो जाता है इस को ग़ालिब ने अपने अंदाज़ में कहा है की
ishq par zor nahīñ hai ye vo ātish ‘ġhālib’
ki lagā.e na lage aur bujhā.e na bane
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
की लगाए न लगे और बुझाये न बुझे

Ishq Sher: Shayari on Ishq
इश्क़ की शुरुआत है तो आग से होती है लेकिन वह खाक बना कर छोड़ती है या यूँ कह लीजिये की आदमी जब अच्छे कर्म करता है तो वह इंसान बनता है फिर अगर इश्क़ हो जाये तो वह वहीँ फिर पहुंच जाता है जहाँ से उसकी उत्पात्ति हुई है और वह ईश्वर के साथ स्वर्ग एवं जन्नत में हमेशा के लिए वास करने लगता है
aag the ibtidā-e-ishq meñ ham
ab jo haiñ ḳhaak intihā hai ye
आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम
अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
मीर ने फिर इश्क़ को एक बड़े पत्थर की तरह से पेश किया है जो एक कमज़ोर इंसान से न उठ सकेगा कमज़ोर खुद को शायर इसलिए समझ रहा है क्योंकि इसमें बहुत परेशानियां और इम्तिहान है और शायर इनको भली भांति जनता है समझता है इसलिए वह खुद को इश्क़ करने के लायक नहीं समझ रहा है और वह इश्क़ से दूर रहने की बात कहता है
ishq ik ‘mīr’ bhārī patthar hai
kab ye tujh nā-tavāñ se uThtā hai
इश्क़ एक मीर भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना तावान से उठे गा
प्यार जब तक नहीं होता तो वह व्यक्ति किसी का नहीं रहता लेकिन प्यार जब इश्क़ बन जाता है तो जीवन सुखमय होने लगता है ये इश्क़ चाहे आप अपने आप से हो या कायनात की किसी भी चीज़ से इसके होने से इंसान मुकम्मल इंसान बन जाता है और फिर वह ईश्वर के बताये हुए मार्ग पर चलने लगता है जिसके कारन वह समाज और अपने समुदाय के लिए हितकारी कार्य करने में सक्षम होता है
Ishq Junoon Shayari इश्क जूनून शायरी
ishq jab tak na kar chuke rusvā
aadmī kaam kā nahīñ hotā
इश्क़ जबतक न कर चुके रुस्वा
आदमीं काम का नहीं होता

इश्क़ के बाद ज़माने में रुस्वाई भी होती है क्यूंकि यह सबका हितकारी भी नहीं होता यह तो सच्चाई पर आधारित एक एहसास है जिससे दुनिया के लोग फायदा उठा सकते हैं लेकिन जो बुराई में पड़े रहते हैं उनको इससे बैर होता है और वही लोग दिनिया में इश्क़ करने वालों का मज़ाक़ बना कर उनको बदनाम करते हैं
और ये कुछ दिनों में या कुछ लम्हों या फिर सालों में नहीं यह संसार के असीम समय के साथ आगे अग्रसर होता है जिस मे दुनिया कि सब कठिनाई भी शामिल होती है इन कठिनाइयों का सामना करते हुए मानव जाती अपने को निखारती रहती है और वह कामयाब होती रहती है
ishq hai ishq ye mazāq nahīñ
chand lamhoñ meñ faisla na karo
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक नहीं
चंद लम्हो में फैसला न करो
kuchh khel nahīñ hai ishq karnā
ye zindagī bhar kā rat-jagā hai
जब इश्क़ मुकम्मल हो जाता है तो मानव मात्र ही नहीं रहता वह एक भगवान का दोस्त बन जाता है और उस व्यक्ति की बोली ऐसी हो जाती है जिसके कारण इंसान क्या जानवर भी उसकी बातें सुनकर मात्र मुग्ध हो जाते है जैसे की कृष्ण की बंसी की तान सुनकर गाय और पंछी खींचे चले आते थे या फिर तानसेन के सुर का उदाहरण है यह शेर
jazba-e-ishq salāmat hai to inshā-allāh
kachche dhāge se chale ā.eñge sarkār bañdhe
जज़्बए इश्क़ सलामत है तो “इंशा” अल्लाह
कच्चे धागे से चले आएंगे सरकार बंधे

Ishq Shayari Urdu: Sher o Shayari Ishq
मीर ने अपने शेर में इश्क़ की शुरुआत करने वाले को काफिर कहा है क्यूंकि यह इश्क़ बहोत ही दुःख देने वाला है इसको ईजाद करने वाला बहोत क्रूर और निर्दई होगा जिसने इस मज़हब को अपनाया होगा वह ऐसा इसलिए कह रहे है क्यूंकि यह इश्क़ बहोत ही ज़ालिम चीज़ है और इस को इख्तियार करने वाला भी बहोत ज़ुल्म करने वाला होगा लेकिन यह मात्र एक कल्पना है इश्क़ का मज़हब दुनिया की सारी चीज़ों से परे है
saḳht kāfir thā jin ne pahle ‘mīr’
maz.hab-e-ishq iḳhtiyār kiyā
सख्त काफिर था जिन ने पहले मीर
मज़हबे इश्क़ इख्तियार किया
इश्क़ ऐसा एहसास है जिसमे कोई सीमा नहीं जिसका कोई छोर या किनारा नहीं यह वह एहसास है जो ख़ुशी और ग़म हंसी और आंसू हर तरह से आशिक़ पर तारी रहता है इसमें किसी का ख्याल तक नहीं रहता और यह वह शह है जिसका आग़ाज़ भी रुस्वा करता है अंजाम के बाद यह फिर आग़ाज़ करता है इसी प्रकार इश्क़ का जीवन भर चक्र चलता रहता है यह वह काल है जो कभी ख़त्म नहीं होता जीवन समाप्त होने के बाद भी यह ईश्वर के पास जाने पर भी यह अपना अलग रूप ले लेता है
ishq meñ bhī koī anjām huā kartā hai
ishq meñ yaad hai āġhāz hī āġhāz mujhe
इश्क़ में भी कोई अंजाम हुआ करता है
इश्क़ में याद है आग़ाज़ ही आग़ाज़ मुझे
जिग़र मुरादाबादी ने इश्क़ को कुछ इस तरह से पेश किया है की वह एक गली या शहर है जिसमे लोग खाना ख़राब या बर्बाद हो जाता है यह वह गली है जिसमे जाने के बाद बदनाम हो जाता है और वह बदनामी का दाग़ अपनी किस्मत बन जाता है जो दुनिया में तो दुःख देता ही है और लोग इस गली में जाने वाले को बुरी निगाह से भी देखते है यह जीवन को बर्बाद करने वाला भी है परन्तु ज्ञान के द्वारा सही और ग़लत का फ़र्क़ करने का साधन भी
kūcha-e-ishq meñ nikal aayā
jis ko ḳhāna-ḳharāb honā thā
कूचाए इश्क़ में निकल आये
जिसको खाना खराब होना था